तिमिरो पर रोशनी का आधिपत्य हो जाए ,
हर होठो पर मुस्कान की लहर दौड़ जाए !
सभी का घर आँगन महके खुशियो से,
हवाओ में खुश्बुओ की लहर झूम जाए !
प्यार कि आवाज ऐसे खनके की ,
उसकी खनक से सभी का मन खनक जाए!
हसते - खेलते बीते जिंदगानी,
सभी के हृदयो में उमंगो और विश्वासो का ,
एक चमन झिलमिलाये !
आत्मविश्वास से भरी हर सुबह हो ,
उम्मीदो से सजी हर शाम हो ,
लालिमा युक्त दिवाकर की और,
चमकती हुई चांदनी की और,
हरे भरे उपवन के बीच ,
मेरा भी आँगन रोशनी फैलाये !
खुशिया लुटाये इस सारे जहाँ में ,
समृद्धि कि तरह पूर्णता लाये !
इस जिंदगी को अपनी बाहो में समेटकर,
हल पल सरगम कि तरह गुनगुनाये !
साज छेड़कर अपने मन की,
दुनिया कि साज से वो एक नयी धुन बनाये !
रोहिणी विश्वनाथ तिवारी
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