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Dr. Srimati Tara Singh
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माँ

 

 

रोहित अवस्थी

 

एक चिड़िया तथा एक चिडुआ ने अपने जिंदगी के २० साल एक सुंदर सा आशियाना बनाने में निकाल दिया ताकि अपने बच्चो को एक सुकून भरी जिंदगी दे सके | एक ऐसा घोसला बनाया की उनके बच्चे आराम से रह सके लेकिन जिंदगी एक समान नहीं रहती चिडुआ गंभीर बीमारी के कारण सभी को छोड़ कर इस दुनिया से चला गया | अब केवल चिड़िया ही बची थी जिसे घर भी संभालना था तथा अपने बच्चो को ऐसे संस्कार देने थे की वे उन सपनो को पूरा कर सके जिनको लेकर उन्होंने आसियाना बनाया था | चिड़िया के पास एक नहीं कई समस्याए थी उसे सबसे पहले तो अपना घोसला बचा कर रखना था अपने बच्चो को संभालना था उन्हें ऐसे गलत राह पर जाने से रोकना था तथा साथ ही ऐसे समय में जब पैसो की सबसे ज्यादा जरुरत थी तो पैसो की व्यवस्था भी करनी थी| ६ साल से वह अपने बच्चो को नाम मात्र की सुविधाओ के साथ आंगे बड़ने को प्रेरित कर रही है लगभग हर दिन कोई न कोई नई चुनोती सामने आ जाती है और एक एक दिन पहाड़ सा लगने लगता है| लेकिन आज उसके बच्चे उस जगह पर खड़े है जिसको सफलता की अंतिम श्रेणी कहते है और उनके मन में एक उत्साह है कि कब वे अपनी माँ के लिए वो सब कर सके जिसकी वो हक़दार है| मेरा यह मानना है कि जब तक एक व्यक्ति अपने आप को अपनी माँ से बंधे हुए पता है उसके साथ कभी गलत नहीं हो सकता| हमारी माँ ने जिंदगी भर संघर्ष किया है और में उनके इस संघर्ष का साक्षी हू| जब में बाहर रह कर पढाई कर रहा था तो मुझे घर से एक एक रूपये बचा कर भेजा जाता था| कभी कभी तो घर में सब्जी लाने तक के भी पैसे नहीं रहते थे ऐसी परिस्थितियों में भी माँ ने धीरज रखा तथा हमे भी ऐसी परिस्थितियों से लड़ना सिखाया| आज हम जो कुछ भी है अपनी माँ के संघर्षो की वजह से है|

 

 

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