Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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भारत माता की पुकार

 

मैने कब कहा मेरी जय जयकार करो
चाहत मेरी इतनी सी ,मुझको थोडा सा प्यार करो

 

बेटी मेरी रोती हैं जब उनको नोचा जाता है
मत उसकी इज्जत तार करो
चाहत मेरी इतनी सी मुझको थोडा सा प्यार करो

 

खेतों मे बैठा किसान मेरा ,अम्बर की और निहार रहा
फसलों की बरबादी पर जीवन से वो हार रहा
कुछ उसके लिए तुम त्याग करो
चाहत मेरी इतनी सी मुझको थोडा सा प्यार करो

 

वीर सिपाही सीमा पर जब मेरी रक्छा करता है
तुम क्या जानो किस अभिमान से तब सिर मेरा ये उठता है
कुछ. उनका भी सम्मान करो
चाहत मेरी इतनी सी मुझको थोडा सा प्यार करो

 

कंही बाढ है तो कंही सूखा है
पर उसकी चिंता कौन कर
यहां किसीको फर्क नही कोई जीता है या मरता है
भारत माता की जय पर अब तो मत तकरार करो
चाहत मेरी इतनी सी मुझको थोडा सा प्यार करो

 

 

रूपा शर्मा 

 

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