Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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मय

 

मय नही मै हमसफर. हूं
मुझको लेकर साथ चल.
मेरा ही लेकर सहारा ,
जिया सारी उम्र है,
मै दबा हूं तेरे गम की
,मत मुझे बदनाम कर.मय नही......
लाख रुसबा लोग करले
फिर भी मै आबाद हूं
रख लगा के लब से मुझको
मत मुझे बरबाद कर. मय नही......
मयखाना है घर खुदा का
करले सजदा तू यहॉं
रख जला कर इसकी शमा
तू इसे गुलजार कर

 

 


रूपा शर्मा

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