न दूर तुम हो न दूर हम हैं
दरमियां कुछ है तो बस
मजबूरियों के फासले हैं
दो कदम बढाओ तुम
दो कदम हम बढें तो
मिलने के ये ही दो रास्ते हैंइस दिवाली पर एक दिया ऐसा जलाया जाए
बाहर के अंधेरे के साथ अंदर का अंधेरा बुझाएं
अपनी खुशी के साथ तो खुश होते हैं सब हीं
कुछ खुशियां हम दूसरों पर भी लुटाएंसिंधू सी गरजती सिंधू ने वो कर के दिखलाया है
भारत की बेटी कैसी हैं ये सबको बतलाया हैदेख लो दुनिया वालो बेटी भारत की जिंदा हैं
हिंदुस्तान नही बोलेगा कि हम शर्मिन्दा हैंतुम खुश हो, वजह बहुत सी होंगी
हमारी उदासी की वजह बस एक है
और वो तुम होहम डूबे वहां जहां पानी कम था
पर साहिल ने हाथ ही नही थामा
तब डूबना ही सही था
ताउम्र गुजार दी हमने उसे अपना
समझने के लिए
हकीकत थी कि वो अपना ही नही थाजिंदा थे तो बटवारे मां बाप के किए बच्चों ने
मरने पर हक अपना जता रहे हैं
सुना है कुछ जयदाद छोड कर गये हैंघी के दिए ऩही अबकी स्नेह के दीप जलाए.
आओ दीवाली मनाएं.
द्वेष भावना मिटा कर दिल से.खुशी के दीप जलाएं
आओ दीवाली मनाए.
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY