बसन्त है आया- बसन्त है आया( कविता)
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| 10:05 AM (4 minutes ago) |
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फ़ूली सरसों पीले फ़ूल,
फूले फ़ूल सब अलग-अलग।
खिलीं हुईं हैं चंहु दिशाएँ
पवन झूमीं अब मतवाली।
पेड़ों के पात बिखरे अब,
फैली देखो हरियाली।
अभिनन्दन सारा जगत करे,
ख़ुशहाली ज्ञान भी फैलाये।
बसंत है आया-बसंत है आया!!
रचयिता- सर्वेश कुमार मारुत
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