Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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अगर हो सके तो

 

सदा मुस्कुराना अगर हो सके तो
न आँसू बहाना अगर हो सके तो

 

मेरी तिश्नगी अब तुम्हीँ से बुझेगी
जरा पास आना अगर हो सके तो

 

कहीँ कट न जाएँ मेरे सोच के पर
खुदा से मनाना अगर हो सके तो

 

मेरे प्यार को तुम भुला ही चुके हो
मुझे भी भुलाना अगर हो सके तो

 

तुम्हेँ जब सताये कभी याद मेरी
गजल गुनगुनाना अगर हो सके तो

 

कहीँ प्यार का दीप जलता नहीँ अब
बदल दो जमाना अगर हो सके तो

 

 

-सागर यादव 'जख्मी'

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