Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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जिसे अपना समझता हूँ वही दुश्मन हमारा है

 

1.
जिसे अपना समझता हूँ वही दुश्मन हमारा है

तेरी दुनिया का मेरे रब बड़ा दिलकश नजारा है

पढ़ा जो खत 'सुनैना' का रुआँसा हो गया मै भी

"बुआ औ दादी ने मिलकर हमारी माँ को मारा है"

2.किसी का घर बसा देना किसी घर को जला देना

हमेँ आता नहीँ यारोँ मुहब्बत मेँ दगा देना

मेरा दिल तोड़ने वाले मेरी इतनी सी ख्वाहिश है

हमारी लाश जब उट्ठे जरा सा मुस्कुरा देना

3.

जले दिल को जलाने की तमन्ना हम नहीँ रखते

किसी को आजमाने की तमन्ना हम नहीँ रखते

सुना है मुस्कुराने वालोँ से सब प्यार करते हैँ

नहीँ तो मुस्कुराने की तमन्ना हम नहीँ रखते

 

 

सागर यादव 'जख्मी'

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