Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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मुझे अधिकारी बनाने का,पापा का सपना टूट गया

 

1.
मुझे अधिकारी बनाने का,पापा का सपना टूट गया
इक जरा सी भूल के कारण,मेरा घुटना टूट गया
इश्क-विश्क करने वालोँ का,होता है अंजाम यही
पल दो पल प्यार किया फिर,उनका रिश्ता टूट गया

2.
अमीरोँ के महल मेँ प्रीति की चादर नहीँ शायद
जमाने मेँ मुहब्बत की कोई कीमत नहीँ शायद
जिसे देखो वही हमको घृणा से देखता है अब
हमारा दिल किसी के प्यार के लायक नहीँ शायद

3.
मुझे मुझसे चुराने की शरारत कौन करता है
अँधेरी रात मेँ मेरी इबादत कौन करता है
वो मेरी खूबसूरत शायरी पर मर मिटी होगी
नहीँ तो हम गरीबोँ से मुहब्बत कौन करता है

4.
खुदा के सामने हमसे कभी सजदा नहीँ होता
फकत मजबूरियाँ हैँ इसलिए ऐसा नहीँ होता
हमारी मुफलिसी पर तुम अगर हँसते नहीँ 'सागर'
मै सबके सामने यूँ फूटकर रोया नहीँ होता

5.
घिनौना कर्म करने से मना कोई नहीँ करता
अमीरोँ की कड़ी आलोचना कोई नहीँ करता
हमारा दिल दुखाने की खता सब लोग करते हैँ
हमेँ दिल से लगाने की खता कोई नहीँ करता

 

 

 

-सागर यादव 'जख्मी'

 

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