Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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सूरज दादा

 

सूरज दादा सूरज दादा
घर से निकलो बाहर आओ

 

घना कोहरा ऊपर से ये शीत
जल्दी आकर हमें बचाओ

 

बच्चे , बूढ़े, युवा सभी
देखो थर-थर काँप रहे हैं

 

तन पर डाले लम्बी चादर
अलाव जलाकर ताप रहे हैं

 

हम नन्हे-मुन्ने बच्चे भी
सुबह देर से उठते हैं

 

कभी - कभी पापा के हाँथों
बड़ी जोर से पिटते हैं

 

अगर तुम्हें बुखार हुआ है
जाकर कहीं इलाज कराओ

 

सूरज दादा सूरज दादा
घर से निकलो बाहर आओ

 




सागर यादव ' जख्मी

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