सूरज दादा सूरज दादा
घर से निकलो बाहर आओ
घना कोहरा ऊपर से ये शीत
जल्दी आकर हमें बचाओ
बच्चे , बूढ़े, युवा सभी
देखो थर-थर काँप रहे हैं
तन पर डाले लम्बी चादर
अलाव जलाकर ताप रहे हैं
हम नन्हे-मुन्ने बच्चे भी
सुबह देर से उठते हैं
कभी - कभी पापा के हाँथों
बड़ी जोर से पिटते हैं
अगर तुम्हें बुखार हुआ है
जाकर कहीं इलाज कराओ
सूरज दादा सूरज दादा
घर से निकलो बाहर आओ
सागर यादव ' जख्मी
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