Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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अब शायद देशवासियों को देश याद आ

 

अब कोल्ड्रिंक्स  भूल कर 

दही लस्सी छाछ याद आ रहा हैं 

अब  शायद देशवासियों को देश याद आ रहा हैं। 


फ्रिज का पानी छोड़ कर 

देशी  मटका याद आ रहा हैं 

अब शायद देशवासियों को देश याद आ रहा हैं। 


सीमित साधन में भी जीवन चल सकता हैं 

 ये अब सब को  समझ आ रहा हैं 

 अब शायद देशवासियों को देश याद आ रहा हैं। 


जो भारत दूसरों को देता था, आज 

अपनों से अपने लिए  मांग रहा हैं 

अब शायद देशवासियों को देश याद आ रहा हैं। 


कैचअप और सॅास छोड़ कर 

चटनी और अचार याद आ रहा हैं 

अब शायद देशवासियों को देश याद आ रहा हैं। 


महंगे टूथपेस्ट से अच्छा तो 

मुफ्त का गुणकारी दातुन याद आ रहा हैं 

अब शायद देशवासियों को देश याद आ रहा हैं। 


हर घर में, घर -घर में फिजूल 

खर्चो पर लगाम लगाया जा रहा हैं 

अब शायद देशवासियों को देश याद आ रहा हैं। 


 एक रोग क्या फैला लोगों को 

भारत  का दिया योग याद आ रहा हैं 

अब शायद देशवासियों को देश याद आ रहा हैं। 

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