अब कोल्ड्रिंक्स भूल कर
दही लस्सी छाछ याद आ रहा हैं
अब शायद देशवासियों को देश याद आ रहा हैं।
फ्रिज का पानी छोड़ कर
देशी मटका याद आ रहा हैं
अब शायद देशवासियों को देश याद आ रहा हैं।
सीमित साधन में भी जीवन चल सकता हैं
ये अब सब को समझ आ रहा हैं
अब शायद देशवासियों को देश याद आ रहा हैं।
जो भारत दूसरों को देता था, आज
अपनों से अपने लिए मांग रहा हैं
अब शायद देशवासियों को देश याद आ रहा हैं।
कैचअप और सॅास छोड़ कर
चटनी और अचार याद आ रहा हैं
अब शायद देशवासियों को देश याद आ रहा हैं।
महंगे टूथपेस्ट से अच्छा तो
मुफ्त का गुणकारी दातुन याद आ रहा हैं
अब शायद देशवासियों को देश याद आ रहा हैं।
हर घर में, घर -घर में फिजूल
खर्चो पर लगाम लगाया जा रहा हैं
अब शायद देशवासियों को देश याद आ रहा हैं।
एक रोग क्या फैला लोगों को
भारत का दिया योग याद आ रहा हैं
अब शायद देशवासियों को देश याद आ रहा हैं।
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