Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

कहीं न कहीं भारत बदनाम हो रहा

 

है कहीं जंग भूख और मौत की

 तो कोई गरीब बेघर , बेबस

 और लाचार हो रहा है, 

महामारी का तो बस नाम हो रहा है।


रो रहा है कोई औलाद की वापसी के 

इंतज़ार में राह देख कर

मौत के नाम पर  तो 

कोरोना  बस बदनाम हो रहा है।


आये थे जान बचाने 

खुदा के  रूप में वो फरिश्ते 

उन्हें दुश्मन समझ कर 

न समझी में पथराव हो रहा है।


महामारी के इस युद्ध में 

राम रहीम क्यों बदनाम हो रहा है।

एकता और अखंडता वाला भारत

 फिर शर्मसार हो रहा है।


जला कर दीपक , कर के उजाला

 एकता का प्रतीक हो रहा है

उस दिए तले अँधेरे में  धर्म के नाम पर 

कहीं न कहीं भारत बदनाम हो रहा है।

                                ✍साक्षी राय
               तेंदूखेडा नरसिंहपुर मध्य प्रदेश 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ