| Fri, May 22, 8:39 PM (2 days ago) |
खुलने दो जरा लॉक डाउन मिलेगी आजादी तो
चारों तरफ दिल खोल कर कालाबाजरी होंगी
ये तो बीमारी हैं अब जो होंगी वो महामारी होंगी।
किस ने सोचा था की ऐसा भी होगा
हर इंसान के लिए छुआ छूत की बीमारी होंगी
ये तो बीमारी हैं अब जो होंगी वो महामारी होंगी।
अब याद आया कि आत्म निर्भर होना हैं, क्या पता था
भारत की जनता तो कलयुग के विभीषण का प्रमाण होंगी
ये तो बीमारी हैं अब जो होंगी वो महामारी होंगी।
आज तो गरीबों को मुफ्त में खाना मिल ही रहा हैं
देखना कुछ दिन बाद इंसानियत शर्मसार होंगी
ये तो बीमारी हैं अब जो होंगी वो महामारी होंगी।
फिर न रहेगी कोई सरकार न कोई सुविधा फिर होगा सिर्फ
चुनाव प्रचार और झुठे वादों को फिर सच करने की बात होंगी
ये तो बीमारी हैं अब जो होंगी वो महामारी होंगी।
जिसे नहीं पता वो देख लो दुनिया ऐसी हैं कि, अपनों को
पीछे धकेलेगी और दूसरों को आगे बढ़ाने वाली बात सच होंगी
ये तो बीमारी हैं अब जो होंगी वो महामारी होंगी
फिर क्या पता था कि आत्म निर्भरता इतनी जरुरी होंगी
कि अपनी ही थाली में छेद वाली बात भी कभी सच होंगी
ये तो बीमारी हैं अब जो होंगी वो महामारी होंगी।
✍️साक्षी राय
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