Swargvibha
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शाम भी थी धुआं-धुआं

 

June 08, 2024
JANAB FIRAQ GORAKHPURI (1896-1982)
SHER बनाम SHER
शाम भी थी धुआं-धुआं, हुस्न भी था उदास-उदास,
दिल को कई कहानियां याद सी आके रह गईं।
- FIRAQ GORAKHPURI
जब इतने पेचो-खम1 हैं, एक छोटी सी कहानी में,
बने कितने फसाने2 होंगे फिर ज़ालिम जवानी में।
-'SALIM' PRADEEP
1.चक्कर,  उतार-चढ़ाव 2. किस्से-कहानी
 

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