Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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आज की नारी हूँ

 

सबने कहा नारी_ आज की_ शिक्षित है,_फ़िर _क्यों आज भी नारी_ सब दर्द_ को चु्पचाप सहती है।
क्यों आज भी यह नारी_ आंधेरो से अकेले ही_ है लड़ती ??
क्यों_ नहीं यह नारी_ आज भी खुद को सुरक्षित नहीं है पाती ??
दुनिया के लोग कहते है ,इसमें क्या नई बात है,यह तो दुनिया का ऊसूल है,
यह तो नारी_ है ही_ है कसूर है ।
यहाँ सब कहते है औरत और आदमी का भेद नहीं रहा ,_किसी को अब नारी_ के आगे बढ़ने से
परहेज़ नहीं रहा?? पर _या यह सच्चाई है??
क्यों_ आज भी हर अख़बार की सुर्खियों में- उसके वजूद पर सवाल है??
_क्यों आज भी बेटियाँ बोझ समझी जाती है??
क्यों_ आज भी बहुएँ दहेज़ की आग में जलती है ??
क्यों_ आज भी ना्री को क्ठपुतली_ समझते है??
दोष देने वालो को_ कमी भी नहीं है,_किन्तु हर नारी की आँख_ में- सवाल है कि
क्यों आज भी नारी _ का स्वाभिमान टूटता है??_फर कैसे हम कहते है नारी _ शिक्षित है??
यह वह_ नारी _ है जो हर _कसी को खुश रखने के लेए खुद के गमो को भूल जाती है ,
हर _कसी _क ख़ुशी म- जी जाती है।
यह वह_ नारी _ है जो इस ब्रह्मांड की सृष्टि करता है।
यह वह_ नारी है जो हर रिश्ते को अपनाती है और हर रिश्ते को जोड़े रखती है।
_फर भी यह आज _की ही_ वो नारी _ है जो नहीं है डरती ,
_यूं_क वो अब अन्याय को समझती है ,वो अब लड़ना जानती है ,
हर मुश्किल में खुद को संभालना सीख रही_ है।
आज की_ नारी _ के कदम नहीं रूकेंगे ,न उसक_ कलम रूकेगी ,
_फ़िर _क्यों_ आज _की नारी _ और सहेगी ??
नारी वो हिम्मत है िजसको अब रोक पाने की _किसी में वो ताकत नहीं।।।।।।

 

 


लेखक :संचिता

 

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