Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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अब बस

 

ab bas

 

अब यह आंसूं बहा कर हम और ना रोयेंगे

अब यह दर्द किसीसे बयान हम और ना करेंगे .

अब अपने जज़्बातों की नुमाइश हम ज़माने से और ना करेंगे

अब यह आँखें फिर सपनो को ना बुनेंगे

अब उमीदों के दामन में हम ना खोएंगे

अब ख़ामोशी से हम रिश्ता जोड़ेंगे

अब यह वक़्त ही अपनों का असली अर्थ समझायेंगे

अब हम सिर्फ खुद पे ही भरोसा करेंगे

अब ख्वाइशों की उड़ान हम ना भरेंगे

अब हर सफर मे हम अकेले ही चलेंगे

अब किसीके साथ की उम्मीद में इंतज़ार और ना करेंगे

अब बस हिम्मत से हम हर मुश्किल को लड़ेंगे

 

 

कवित्री
संचिता

 

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