अब यह आंसूं बहा कर हम और ना रोयेंगे
अब यह दर्द किसीसे बयान हम और ना करेंगे .
अब अपने जज़्बातों की नुमाइश हम ज़माने से और ना करेंगे
अब यह आँखें फिर सपनो को ना बुनेंगे
अब उमीदों के दामन में हम ना खोएंगे
अब ख़ामोशी से हम रिश्ता जोड़ेंगे
अब यह वक़्त ही अपनों का असली अर्थ समझायेंगे
अब हम सिर्फ खुद पे ही भरोसा करेंगे
अब ख्वाइशों की उड़ान हम ना भरेंगे
अब हर सफर मे हम अकेले ही चलेंगे
अब किसीके साथ की उम्मीद में इंतज़ार और ना करेंगे
अब बस हिम्मत से हम हर मुश्किल को लड़ेंगे
कवित्री
संचिता
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