Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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अंजाना

 

 

 

anjana

 

 

रुख मोड़ लेती थी फ़िज़ाएं जिस रास्ते से गुज़रता वो..

आँखों में जोश की ज्वाला ले कर दहकता था वो...

हर मुश्किल से निडर हो कर लड़ता था वो...

हर कमज़ोर को हिम्मत का मतलब समझाता था वो..

गरीबो का मसीहा और मासूमो का दोस्त था वो...

शौर्यवान बलवान पुरुष था वो...

अन्याय से लड़ना जनता था वो..

साहस का दूसरा नाम था वो....

हर हाल में जीने की प्रेरणा था वो...

उस जैसे इंसान की ज़रूरत थी सबको...

हर किसी की निगाहों में बदलाव की उम्मीद दे गया था वो...

लेकिन ना जाने किस गली चल पढ़ा था वो.....

की एक दिन ना जाने कहा खू गया वो...

 

 

 

कवित्री
संचिता

 

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