बिन तेरे हर वो दर्द को अपने में समा लिया मैंने ,
बिन तेरे मेरा हर सफर अधूरा था ?
बिन तेरे शायद मेरा वजूद ही नहीं था ,
बिन तेरे इस कदर रह गयी जैसे बिन बादल बरसात
बिन तेरे अकेली चल रही थी ,
बिन तेरे जीना अभ सीख लिया मैंने ,
बिन तेरे जो वक़्त गुज़रता नहीं था मेरा ,
अभ उस वक़्त से मुझको लड़ना आ गया था ,
क्या हुआ अगर तुमने साथ छोड़ दिया था .....
बिन तेरे ही हिम्मत का हाथ थाम लिया है अभ मैंने ,
बिन तेरे न रही अभ मैं कमज़ोर .....
बिन तेरे ज़िन्दगी को अब मैंने अपना दोस्त है बना लिया ,
बिन तेरे अभ मुझ में हौसला है ....
बिन तेरे अभ मेरा जीवन मुस्कुराता है और कहता है....
मुझसे की जो वक़्त बीत गया उसे भूल जा ,गुज़रा हुआ वक़्त तेरा न था...
पर आने वाला हर पल सिर्फ तेरा है ,
इसको न तू गवा ,तू हर पल को ख़ुशी से जीता जा।
कवित्री -संचिता
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