ची - ची, चु -चु करती रोज़ सवेरे मेरी खिड़की पे आती है तू चिड़िया ....
कभी तुझको मैं बिस्कुट ,तोह कभी देती हु कुछ और खाने को खाना …
चिड़िया रानी इतना मीठा कैसे गाती है तू गाना ?
अपनी मस्ती से तू कही भी फ़र्र -फर्र करके है उड़ जाती
कितने प्यार से अपने बच्चो को तू दाना है खिलाती
कैसे चिड़िया रानी इतनी सुबह तू है उठ जाती ?
क्यों तू कभी स्कूल नहीं है जाती ?
मुझको तू लगती है बहुत प्यारी सी मेरी चिड़िया …
कवित्री
संचिता
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