इस बारिश में थी कमीं उनके साथ की
इस बारिश की बूंदों में जैसे उसके प्यार की फुहार है
इस बारिश के मौसम ने याद दिला दिए हो जैसे तेरे संघ बिताये हुए हसीं पलो को
इस बारिश में जानती हु आओगे नहीं तुम बनकर मेरे हमसफ़र
इस बारिश में चाह है की मैं रोह लू जी भरकर
इस बारिश से दुआ है की भूल जाओ हर गम को हसकर
इस बारिश में जैसे खास कोई बात थी जो भिगो रही थी मुझे रूह तक
कवित्री
संचिता
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