Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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इस बारिश

 

barish

 

इस बारिश में थी कमीं उनके साथ की
इस बारिश की बूंदों में जैसे उसके प्यार की फुहार है
इस बारिश के मौसम ने याद दिला दिए हो जैसे तेरे संघ बिताये हुए हसीं पलो को
इस बारिश में जानती हु आओगे नहीं तुम बनकर मेरे हमसफ़र
इस बारिश में चाह है की मैं रोह लू जी भरकर
इस बारिश से दुआ है की भूल जाओ हर गम को हसकर
इस बारिश में जैसे खास कोई बात थी जो भिगो रही थी मुझे रूह तक

 

 

 

कवित्री
संचिता

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