Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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कैसी है यह दौड़??

 

 

kaisi

 

 

हर इंसान यहाँ एक दूसरे से आगे बढ़ने की होड़ में दौड़ रहा है ..
हर इंसान यहाँ अलग वजह और अलग तरह से इस जीवन को अपनी नज़रो से देख रहा है

 

कोई यहाँ किसीकी यादों में आंसू बहा कर रोह रहा है
तोह कोई यहाँ मासूम सी हसी पे ही अपनी हर ख़ुशी को पा रहा है ..

 

कोई दूसरे की ख़ुशी के लिए अपने गमो को अपने दिल में दबा रहा है ..
तोह कोई अपने दर्द से खुद को मज़बूत बना कर आगे बढ़ रहा है ..

 

हर कोई इस रंगमंच पे अपने किरदार को बखूबी निभाने की कोशिश कर रहा है ..
हर कोई यहाँ अपने उमीदों ,सपनो को साकार करने की चाह में जैसे जी रहा है ..

 

कोई यहाँ दो वक़्त की रोटी में हर सुख को ढूंढ रहा है...
तोह कोई शोहरत की चाहत में अपना वजूद ही जैसे खो रहा है ..

 

कोई अपनों के प्यार को पानी को तरस रहा है
तोह कोई सब कुछ पा के भी उसकी कदर नहीं कर पाता है ..

 

कोई संघर्ष और मेहनत से अपनी मंज़िल को पा रहा है
तोह कोई अहंकार और पैसे की लालच में अपना स्वाभिमान बेच रहा है ...

 

कोई हार कर भी जीत की उम्मीद में आगे चल रहा है
तोह कोई जीत कर भी आगे चलने से डर रहा है

 

कोई गिरगर फिर से खुदको हर हल में संभाल कर उठ रहा है
तोह कोई उचाई की चाह में खुदके ईमान को गिरा रहा है

 

कोई जीवन को हार और जीत समझ कर जी रहा है
तोह कोई इसके हर पल को हर हाल में ख़ुशी से जीना सीख रहा है
इंसान यहाँ ना जाने कैसी दौड़ लगा रहा है??...

 


कवित्री
संचिता

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