जब जज़्बातों ने चुप्पी सी ली हो
जब खुद्की खुदसे लड़ाई खत्म ना हुई हो
वक़्त जब अपना कोई अलग खेल ,खेल रहा हो
जब जीवन से ख़ुशी का वजूद खो सा रहा हो
जब अल्फाज़ो ने साथ देना छोड़ दिया हो
तब यह ख़ामोशी लबो पे और दिल में बस जाती है
कहते है कई मुश्किलो का हल है यह ख़ामोशी ??
यह ख़ामोशी कभी तोह काफी होती है किसी भी रिश्ते को कमज़ोर करने को
कभी यह ख़ामोशी कई दर्द को दबा जाने का हुन्नर सिखाती है
कभी यह ख़ामोशी इंसान में बदलाव ले आती है
ख़ामोशी अपने साथ हर गम को छुपा जाती है
यह ख़ामोशी जीवन के सफर में खुद को कठोर बनाकर आगे चलना सिखलाती है
यह खामोशी इस दुनिया को अपने ज़ख्मो पे नमक लगाने से खुद को है बचाती
खामोश निग़ाहें कई अनकहे सवालो को जवाब दे जाती है
ख़ामोशी खुद में सादगी और अच्छाई को बचा कर रखती है
खामोश रहना भी सबके बस का काम नहीं है
यह ख़ामोशी तब आती है जब खुद में बहुत धैर्य और हिम्मत हो
बहुत बार ख़ामोशी का असर बहुत होता है किसीको उसकी गलती समझाने को
ख़ामोशी बेहतर होती है जब आपकी तकलीफो को समझने वाला कोई ना हो
ख़ामोशी कई बार तूफ़ान आने के पहले का आगाज़ भी होती है
हर ख़ामोशी के पीछे एक कहानी होती है
ख़ामोशी हर हाल में खुद पे काबू पाने की कला सिखलाती है
कवित्री
संचिता
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