Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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खिलौना ना हूँ

 

 

sadwoman

 

जब तक उनकी हर चाह में हमने उनका साथ है दिया ..
तब तक तुमने हमको अपना साथ है दिया...
पर जिस पल तुम्हारी गलत बात का हमने साथ ना दिया
तब कितनी आसानी से तुमने हमे इल्ज़ामों और नफरतो का हक़दार है कर दिया
सुना था सच्चा हो अगर प्यार तोह हम अपने हमदम के हर अच्छाई और बुराई को अपना कर उसके साथ चलते है
पर तुम्हारे लिए शायद प्यार का मतलब था ,तुम्हारे हर इच्छाओ और ज़िद्द को मुझ पे थोप देना
अगर हमने भी अपने ख्वाइशों और इच्छाओं के संग जीना चाहा तोह तुमने हमे स्वार्थी कह डाला

 

पर मुझको खुद पे भरोसा है और मैंने यह समझ लिया था की जो अपने जीवन को अपने ढंग से जी पाया ,वो ही खुश नसीब इंसान कहलाया है
अभ और ना मैं बेज़ुबान गुड़िया वाली ज़िन्दगी जियुंगी
अभ मैं अपना जीवन को अपने हिसाब से लड़कर जियुंगी
नाज़ है मुझे स्त्री होने पर ,मुझ में शक्ति है हर मुश्किल से जीत कर आगे बढ़ने की
मुझे पूरा हक़ है अपनी ज़िन्दागी को ख़ुशी से जीने का

 


कवित्री
संचिता

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