Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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कौन था वो ???

 

 

kauntha

 

 

हर हालात से हंसकर लड़ना सीखा गया था मुझको वो

आँखों में मेरे सपनो की उड़ान दे गया था वो

फिर से गिरकर उठना है ज़िन्दगी , यह समझा गया था मुझको वो

दुःख में भी सुखी रहने का जज़्बा दे गया था वो

एक दिन अचानक ना जाने लोगों की भीड़ में कहा खो गया था वो ?

ढूंढा उसको मैंने हर ओर पर, ना जाने कौनसी राह पे चल पड़ा था वो ?

मुझको जीवन का असली अर्थ समझा गया था वो …

मुझे आज आगे बढ़ते हुए देखकर ,शायद दूर से ही ,पर खुश हो रहा होगा वो ?

मेरे जीवन में फ़रिश्ते जैसा था वो …

 

 

कवित्री
संचिता

 

 

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