हर हालात से हंसकर लड़ना सीखा गया था मुझको वो
आँखों में मेरे सपनो की उड़ान दे गया था वो
फिर से गिरकर उठना है ज़िन्दगी , यह समझा गया था मुझको वो
दुःख में भी सुखी रहने का जज़्बा दे गया था वो
एक दिन अचानक ना जाने लोगों की भीड़ में कहा खो गया था वो ?
ढूंढा उसको मैंने हर ओर पर, ना जाने कौनसी राह पे चल पड़ा था वो ?
मुझको जीवन का असली अर्थ समझा गया था वो …
मुझे आज आगे बढ़ते हुए देखकर ,शायद दूर से ही ,पर खुश हो रहा होगा वो ?
मेरे जीवन में फ़रिश्ते जैसा था वो …
कवित्री
संचिता
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