आज मैं अपनी भतीजी को भगीचे में ले गई घूमने ,जो केवल छह साल की है, जो बाल्य काल की मासूमियत में मुझसे एक सवाल कर गई की "क्यों इस बाग में इतने प्यारे फूल और इतने सारे पेड़ है ??किन्तु हमारे घर के आस पास नहीं है इतने पेड़..है तोह सिर्फ इतने सारे उचे उचे मकान ??
उसके इस मासूम सवाल ने मुझे सोचने में मजबूर कर दिया की हम बढ़े तोह भूल ही गए है हमारा इस प्रकृति के प्रति दायित्वों को ??
हम इस मायानगरी में भूल ही गए है की कितना प्रमुख है हम सब केलिए इस प्रकृति को बचाना और वक़्त रहते हमे दायेत्वा लेना होगा अपने पर्यावरण के प्रति ??
लेखिका
संचिता
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