दिल टूटने से ज़्यादा , अपनों के इल्ज़ामों को पी जाना मुश्किल है ..
अकेले जीने से ज़्यादा ,हमसफ़र होते हुए भी अलग रास्ते पे चलना मुश्किल है ..
दर्द को सहने से ज़्यादा ,ज़ख्मो को भूल पाना मुश्किल है …
यादों में जीने से ज़्यादा ,किसी की बेवफाई को भूल कर उसको माफ़ करना मुश्किल है …
खामोश रहने से ज़्यादा ,आँखों की ख़ामोशी को समझ पाना मुश्किल है ..
प्यार करने से ज़्यादा ,सच्चा प्यार मिल पाना मुश्किल है …
भरोसा करने से ज़्यादा ,किसीके भरोसे को वापस जीत पाना मुश्किल है ...
गम को दिल में बसने से ज़्यादा , खुद्की आँखों से गम को दुनिया से छुपाना मुश्किल है …
किसीके आंसू पोछने से ज़्यादा ,किसीको फिर से हँसा पाना मुश्किल है ....
जीवन के इन् पहेलियों को समझ पाना ना जाने क्यों मुश्किल है ???
कवित्री
संचिता
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