वो सूरज ही क्या जो मिट्टी को तपा ना पाये.. ?
वो ख़ुशी ही क्या जो किसीको मुस्कान दिला ना पाये ?
वो हार ही क्या जो जीत की और बढ़ा ना पाये ?
वो गलती ही क्या जो कुछ सीख सीखा ना पाये ?
वो मुश्किल ही क्या जिसका हल आसानी से मिल जाये ??
वो याद ही क्या जो आँखों को नम कर ना जाए ?
वो प्यार ही क्या जो दुनिया से लड़ ना पाये ??
वो हिम्मत ही क्या जिसमें ना हो अगर कोई जोश ??
वो भक्ति ही क्या जिसमें मन डूब ना पाये ?
वो शक्ति ही क्या जो बदलाव ना लाये ??
वो इंसान ही क्या जिसके मन में हो चोर ??
वो समाज ही क्या जिसमें अगर ना हो नयी सोच ??
कवित्री
संचिता
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