Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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शाम सूरज को ढलना सिखाती है

 

शाम सूरज को ढलना सिखाती है,
शमा परवाने को जलना सिखाती है,
गिरने वालों को तकलीफ तो होती है,
पर ठोकर ही तो इन्सान को चलना सिखाती है !!

 

 

 

संचिता

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