Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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शायरियां-19

 

shayariyan

 

 

 


सोचा था तेरे में एक अछा दोस्त पाया है
पर मेरे दोस्ती की कदर तू कब कर पाया है
मेरी वफादारी को तू कभी समझ ही ना पाया है




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निम्बू का रस जैसे काफी होता है दूध को ख़राब करने के लिए
वैसे ही थोड़ा सा शक काफी होता है किसी रिश्ते को कमज़ोर करने के लिए ...

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उसने कहा मुझे ,की जो चाहा वो सब तोह मैंने दिया था ?
मैंने हंसकर कहा ,हाँ पता ही ना चला कब दर्द और गम बेशुमार तोहफे में तुमने मुझे दे दिया था ।


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दिल कितना ना समझ हो जाता है प्यार में ..
हर पल जैसे कम सा लगता है उनके एक दीदार में .
ऐसा लगता है जैसे जीने की हसीं वजह मिल सी गयी हो मुझे उनके इकरार में ....


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यह भरोसा ही है जो कितनी आसानी से किसी अजनबी को अपना बना लेती है ....
पर जब यह भरोसा टूट जाता है ,तब जैसे इंसान का खुद पे से ही भरोसा उठ जाता है ....


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जिसने सब कुछ खोया हो

उसका क्या रहा और इस ज़माने से पाने को...

 


Written and Copyrighted by
Sanchita

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