Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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शायरिया-18

 

shayariyan


काश पंछियों की तरह मुझे भी आसमान में उड़ना आता होता ?
कम से कम अरमानो के टूट जाने पर भी ...
नयी उड़ान भर कर उड़ना तोह आसान होता ?

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तेरी नज़रों की जुस्तुजू में ना पता चला की कब हम उलझे ....
हर सवाल जैसे अभ तेरी सादगी को देख कर सुलझे ....

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अब तेरे दिए गमो से आंसू अभ नहीं बहते है …
तुझसे अब हमे ना कोई शिकवे है ....
अब तू मेरी ज़िन्दगी का बीता हुआ सिर्फ पल है ..





-------------------------------------------------------------------------------------------------------------------दर्द बहुत होता है ,जब अपना कोई दिल को दुखा जाता है …

जिसको हम अपना समझे वो कितनी आसानी से दामन छुड़ा कर चला जाता है..
कौन अपना और कौन पराया यह ज़िन्दगी बहुत खूबी से समझा जाता है …

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मुश्किल होता है अपने गमो को खुद में छुपाये रखना
मुश्किल होता है अपने हर ज़ख्मो को भूल कर फिर आगे बढ़ना
पर है वही हिम्मतवाला जो गिरकर भी ,जानता है खुदको सम्भालना ...


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संचिता

 

 

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