ना दो दर्द किसीको इतना भी …
ना आँसू बहाना किसीका इतना भी ....
की दर्द सहने की आदत सी हो जाये …
और वो इंसान से पत्थर बन जाये ..
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------
किसीको चंद बुरे शब्द बोल कर ,शायद तेरा दिल हल्का हो जाये …
पर ना दुखा तू दिल किसीका इस कदर की वो तुझे बदुआ दिए बिना रह ना पाये …
किसीकी अच्छाई और सब्र को कभी ना आज़माएँ …
--------------------------------------------------------------------------------------------------------------
लफ्ज़ो की ख़ामोशी तेरे मेरे दरमियाँ अभ ऐसी आ गई है …
गलत फैमियो ने रिश्ते की डोर में जैसे दीमक लगा गई है
अब जैसे हर अलफ़ाज़ को , यह खामोशी कमज़ोर कर रही है ..
-------------------------------------------------------------------------------------------------------------
ज़माने ने कितनी आसानी से खुदगर्ज़ था हमको कह दिया
यह ज़माना कहा था जब अकेले हर गम को हम सह लिए...
---------------------------------------------------------------------------------------------------------------
दर्द की इंतेहा इतनी हुई है...
दिल जैसे शीशे की तरह चूर हुआ हो ...
हम इंसान से जैसे पत्थर में बदल गए हो ..
ज़ख्म दे कर दुनिया ने समझा दिया हमको ,की अभ ज़िन्दगी जीना भी जैसे कोई जंग हो ... .
Written and Copyrighted by Sanchita
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY