तेरी याद में मन में तेरी तस्वीर बन सा गया है …
तेरा अक्स मेरी रूह से मिटा पाना नामुमकिन सा हो गया है ....
अभ जैसे तू मेरे दिल का करीबी हो सा गया है ...
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ऐ इंसान ! शोहरत की चाह में किस कदर गिर जाता है
की वापस उठ पाने के लिए भी अपनों का सहारा नहीं पाता है
और खुद का वजूद तक इंसान खो जाता है …
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संचिता
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