Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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शायरियां-17

 

 

shayariyan17

 

 

खुश थे हम उन् वक़्त के पन्नो में जिसमें तेरा साथ था ,…
पर क्या पता था , वो पन्ने कही खो से जाएंगे
तलाश है आज भी उन् पन्नो की मुझे ,…
क्यूंकी भरोसा है की ,उन् वक़्त के पन्नो में से ढूंढकर हम ....
तुम्हे फिर अपने पास ले आएंगे ..

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ज़माने ने समझाया की सच में होता है बहुत दम ,कहते है सच सबकुछ सुधार देता है
पर जब मैंने सच कहा ,तब इस ज़माने को मेरा सच कहना ना पसंद आया ....
इतना मुश्किल अगर सच सुनना था ,तोह इस ज़माने ने क्यों मुझे सच बोलने को मजबूर था किया ??

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हर मोढ़ पे मुड़ जाना ,जैसे उसकी फितरत थी
हर जज़्बात को छुपा पाना ,जैसे उसका हुनर था
पर इन् सब में उसका खुदको खो देना ना जाने उसकी कौन सी जरूरत थी ??

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उसने पूछा फिर हम कब मिलेंगे ??
मैंने कहा फिर वही , मुझे इंतज़ार करता हुआ पाओगे ,
जिस मोड़ पर तुम हमे छोड़ जाओगे .....


 


Written by
Sanchita

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