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Dr. Srimati Tara Singh
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शायरियां -८

 

 

 

shayariyan

 

 

हर कोई यहाँ नक़ाब में छिपना चाहता है...

दुनिया के रंगमंच में किरदारों को करते करते,

इंसान अपने को भूलता चला जा रहा है...

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रात में खामोशी थी ....

आँखों में एक उलझन थी....

पर तेरी यादें ऐसी थी ....

की आज भी जैसे उसमें तेरी सरगोशी थी ....

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दर्द दुनिया से तू बयां ना कर ...

आंसू बहाकर दिल को कमज़ोर ना कर ...

अभ तू हिम्मत से इस ज़माने से लड़ ....

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सपनो में जीना गलत नहीं है..

पर जब सपने साकार हो नहीं पाते ....

तोह फिर वो उम्मीदों को थोड़ जाते है.....
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इस सफर में तेरा साथ हो के भी मैं अकेली थी...

तुमने समझा यह रिश्ता निभाना मेरी बेबसी थी ....

कैसे भूल गए तुम की इस रिश्तें को निभाने की कभी तुमने भी भरी हामी थी?

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Written by Sanchita Ghosh

 

 

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