वो आंसूं भी क्या जो तेरी याद में बह गए..
वो वक़्त ही क्या जो तेरे इंतज़ार में बीत गए .. तेरेलिये हम कितना है बदल
गए ,
और तुम खुदको हमसे बेगाना कर गए...
---------------------------------------------------------------------------------------------------------------
वो कभी ना समझ पाए मेरे जज़्बात को....
हर पल गुज़ारे हमने उनकी याद में ...
वो क्या जाने उनकी सलामती हमने चाही हर फ़रियाद में ...
यह मोहबत ही है जो हम रोह देते है उनकी याद में...
---------------------------------------------------------------------------------------------------------------
दर्द ने ज़ख्म बहुत दिए....
हर गम को फिर भी हम हसकर है
जीए....
उम्मीद थी साथ है तुम्हारा...
क्या पता था यह गलतफैमी थी मेरी...
जब तक तेरी फितरत समझ आई हो गयी थी देरी ....
--------------------------------------------------------------------------------------------------------------
भरोसा था जब थामा था तेरा हाथ.
वादा किया था तुमने की हर हाल में दोगे साथ...
कैसे भूल गए तुम वो हर बात...
एहम न तुमको बदल दिया रातों रात...
तुमने समझा दिया दुनिया की रीत है यही ...
जहाँ परछाई भी छोड़ देती
है साथ..
--------------------------------------------------------------------------------------------------------------
कहते है दिल से की जाती है मोहबत...
इसीलिए हम दिमाग से नहीं सोच पाते है...
हर हाल में हम उसकी ख़ुशी चाहते
है..
और वो इलज़ाम लगा गए हमपे की हम
अपनी बातों से उनको बहलाना जानते है..
-Sanchita Ghoah
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY