Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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तेरा एहसास

 

 

tereehsas

 

 

 

मेरी रूह में तू खुशबू की तरह जैसे बस सी गई हो
तेरी यादों के सहारे जैसे यह दिल धड़कता हो
मेरी नज़रे हर पल जैसे तुझको ही ढूंढती हो
ना समझ है यह मंन ,जो नही समझता की जुड़कर भी हम कितने जुदा है
तुम्हारे प्यार को मैंने जैसे अपने आँचल में बाँध लिया है
पता ही ना चला इस मौसम की तरह कब तुम इतना बदल गए ?
मेरी हर सांस में जैसे तेरा एहसास बस सा गया है
तेरे बिन हर लम्हा जैसे साल बन गया है
तेरे साथ ना होने की कमी बहुत खलती है
पर तेरे साथ बिताया हुआ हर पल जैसे मुझे जीने की वजह दे जाता है
जिस मोड़ पर छोड़ कर तुम गए थे ,आज भी उसी मोड़ पर मुझे तेरा इंतज़ार रहता है

 

 

कवित्री
संचिता

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