Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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तेरा इन्तिज़ार

 

 

intezaar

 

आज फिर ना जाने क्यों सिर्फ निघाओं को तेरा इन्तिज़ार है...

यह इंतज़ार ना जाने क्यों तेरे दीदार को बेक़रार है .....

यह वक़्त जैसे तेरे इंतज़ार में थम सा गया है..

तुझसे मुलाकात हो बस अब इतनी सी आस है...

अभ जैसे जज़्बातों में भी उमरा एक सैलाब है ....

आज फिर ना जाने क्यों सिर्फ निघाओँ को तेरा इन्तिज़ार है...

हर अलफ़ाज़ मेरे मोहबस्त को तुझे कहने को तैयार है...

यह इंतज़ार मेरे लिए जैसे सब्र का इम्तिहान है ....

उमीदों को जैसे इस इंतज़ार ने बढ़ावा दिया है....

इंतज़ार तेरे लिए जैसे मेरी मोहबत का इकरार है...

आज फिर ना जाने क्यों सिर्फ निघाओँ को तेरा इन्तिज़ार है...

 

 



Written by Sanchita

 

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