Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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तेरा यूँ जाना

 

 

tera yun

 

 

 

कितनी आसानी से हमको इल्ज़ामों से वो नवाज़ के चले गए
हमको बेइंतिहा दर्द दे कर आंसुओं से वो रुला गए
हमको ना कह गए की कहा हमसे कमी हो गई
हमारी हर ख़ुशी को जैसे वो अपने साथ ले कर चले गए
जब तक समझ आता हमे कुछ तब तक इस दिल को शीशे की तरह वो तोड़ गए

 

पता ना चला की कब हम उनपे इतने निर्बार हो गए
उनका बिछड़ना जैसे मेरी रूह का मुझसे जुदा हो जाना था

 

वो बीच मझदार में हमको अकेला ना जाने कैसे कर गए
पर अभ वक़्त का पड़ाव कुछ अलग था

 

अब हम गिरकर भी उठना सीख गए
तेरे हर गम को अभ हम पीछे छोड़ कर आगे है चल दिए

 

तेरे जाने से हम जीवन का असली अर्थ थे समझ चूके
अभ हर आघात से हम निडर हो कर लड़ना थे सीख चुके


 


कवित्री
संचिता

 

 

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