पहले लोग 'बेटा' के लिये तरसते थे..
और आजकल डेटा के लिये !
आज की सबसे बड़ी दुविधा.....
मोबाइल बिगड़ जाये तो बच्चे जिम्मेदार
और बच्चे बिगड़ जाये तो मोबाइल
जिम्मेदार....
" बदल गया है जमाना
पहले माँ का पेर छू कर निकलते थे,
अब मोबाइल की बेटरी फुल करके निकलते है "
पैर की मोच
और
छोटी सोच,
हमें आगे
बढ़ने नहीं देती ।
टूटी कलम
और
औरो से जलन,
खुद का भाग्य
लिखने नहीं देती ।
काम का आलस
और
पैसो का लालच,
हमें महान
बनने नहीं देता ।
अपना मजहब उंचा
और
गैरो का ओछा,
ये सोच हमें इन्सान
बनने नहीं देती ।
दुनिया में सब चीज
मिल जाती है,....
केवल अपनी गलती
नहीं मिलती.....
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भगवान से वरदान माँगा
कि दुश्मनों से
पीछा छुड़वा दो,
अचानक दोस्त
कम हो गए...
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" जितनी भीड़ ,
बढ़ रही
ज़माने में..।
लोग उतनें ही,
अकेले होते
जा रहे हैं...।।।
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इस दुनिया के
लोग भी कितने
अजीब है ना ;
सारे खिलौने
छोड़ कर
जज़बातों से
खेलते हैं...
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संचिता
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