Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

वही ख्यालों कि पगडण्डी

 

वही ख्यालों कि पगडण्डी
वही गिनती के चार कदम
मैं कल भी जहाँ था
आज भी वहीँ हूँ ...
बदल चुका है बहुत कुछ
मेरे इर्द गिर्द ..
गुजरते मौसमों के साथ
चले गए कुछ
खूबसूरत से लम्हे
कभी न वापस आने के लिए...

 

 

 

संचिता

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ