वही ख्यालों कि पगडण्डी
वही गिनती के चार कदम
मैं कल भी जहाँ था
आज भी वहीँ हूँ ...
बदल चुका है बहुत कुछ
मेरे इर्द गिर्द ..
गुजरते मौसमों के साथ
चले गए कुछ
खूबसूरत से लम्हे
कभी न वापस आने के लिए...
संचिता
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वही ख्यालों कि पगडण्डी
वही गिनती के चार कदम
मैं कल भी जहाँ था
आज भी वहीँ हूँ ...
बदल चुका है बहुत कुछ
मेरे इर्द गिर्द ..
गुजरते मौसमों के साथ
चले गए कुछ
खूबसूरत से लम्हे
कभी न वापस आने के लिए...
संचिता
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