हर वक़्त यह दिल करता है तेरी सलामती की अर्ज़ियाँ ……
यह दिल चाहता है पूरी हो तेरी हर अधूरी मार्ज़ियाँ ....
क्या हुआ अगर आज आ गए फासले जो हमारे दार्मियां ..
भरोसा है इस रिश्ते में फिर लौट आएंगी वो खोई हुई नज़दीकियां ..
बिन तेरे हर पल में जैसे छाई है वीरानियाँ …
अल्फाज़ो और जज़्बातों ने कर ली हो जैसे दोस्ती अभ मेरी खामोशियों से …
विश्वास है लौट आओगे कभी तुम ,और कर जाओगे उजाला मेरी इन् अँधेरी राहो को ..
अरमान बस इतना है मेरा की , जब रुक्सत हो मेरी लाश ,तब तुम ज़रूर आना चादर चढ़ाने मेरी मज़हार को . ..
कवित्री
संचिता
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