गाता और लिखता है,
है, एक दोस्त मेरा,
वह कोरा कागज़ भी पढ़ लेता है,
फिर भी वो साधारण दिखता है।
मुझे लगता है,
ये सब वो इंसानियत से सीखता है,
उच्चा गाता, महिफलें लगाता ,
पास बिठाता, प्यार बढ़ाता,
ऐ मेरे दोस्त।
झूठ तो हर कोई बोल जाता है,
सच्च बोलना बड़ा है मुश्किल,
करते हैं पेड़ों से बातें,
आसमान के तारों भी गिन जाते हैं।
कल क्या होनें वाला है,
बातों-बातों में कह जाते है।
जिंदा है, तो दिल में धड़कते हैं,
मरने के बाद भी दिल में घर बना जाते हैं,
बिदराखिया, मानक, लगाते थे, आखड़े बड़े भारी,
मेरे मित्र, बाबू मान की कलम आवाज है नियारी।
मान गुरदास जो लिखता, आज दुनिया मानती है सारी,
मैं जो लिखता हूँ, अपने गुरु से सिखता हूँ,
पल में पल हकीकत देखता,
हकीकत क्या है, जन्म जन्म का कर्म है,
हकीकती देख दुनिया का भला तू भी करके,
रब भी खुश हो जाएगा, तेरे दिदार करके।
दुनियां में ‘सितारें’, सितारों में नाम लिखते हैं,
जो असल में सितारे होते हैं,
दिल में स्थान बनाते हैं।
जो सब से औरों से प्यारे होतें हैं,
दुनिया आती है चली जाती है,
देखकर, सुनकर, हमारे तो गुजारे होते हैं।।
संदीप कुमार नर
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