कोई मुझे यहाँ आने को कहता है ,
वो मुझे वहाँ ले जाने को कहता है,
अगर कोई उनके पास ले जाएँ तो,
मैं खुश नसीब ।।
कभी मुझे से ये बात करना चाहता है,
कभी मुझे से वो बात करना चाहता है,
अगर मेरी उनसे बात हो जाएँ तो,
मैं खुश नसीब।।
कभी मुझे ये बुलाता है,
कभी मुझे वो बुलाता है,
अगर वो मुझे पास बिठाए तो,
मैं खुश नसीब।।
कभी मुझे ये तंग करता है,
कभी मुझे वो तंग करता है,
अगर वो मुझे गले लगाएँ तो,
मैं खुश नसीब।।
कभी मुझे ये सिखाता है
कभी मुझे वो समझता है
अगर उनसे डाँट पड़े तो,
मैं खुश नसीब।।
कोई मुझे लिखकर समझता है,
कोई मुझे पढ़कर समझता है,
आगर कोई मुझे रास्ता दिखाएँ तो,
मैं खुश नसीब।।
लेखक
संदीप कुमार नर
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