"वक्त आएगा ऐसा, आमना सामना होगा तेरा-मेरा,
तू उत्तर देगा,मैं सवाल करूँगा, मैं उत्तर दूंगा, तू सवाल करेंगा,
क्या खबर इस जंग में, शायद दोनों जीत जाएँ "
एक मुलाकात की तो बात है,
चाँद चढ़कर भी दिखाई न देगा।।
बिखरे हूए सितारों का हार बन जाऊँगा,
खामोश ये विया-बान किसी के चेहरे का प्रतिबम्भ दिखाएगा,
होगी किसी से बातें मैं अकेला न बढ़-बढ़ऊगा,
एक मुलाकात की तो बात है,
चाँद चढ़कर भी दिखाई न देगा।।
एक अजनबी सा करीबी बन के पास मेरे आएगा,
सामने बैठ ने को कह दूंगा जब पास मेरे आएगा,
गुलाब हाथ मे फिर से खुशबू महकेएगा,
एक मुलाकात की तो बात है,
चाँद चढ़कर भी दिखाई न देगा......
रो उठूँगा जब अपनी दास्तान सुनाऊगा,
मेरे साथ वो, मेरे साये मैं वो,
दुःखी होकर भी ऐकला न हो पाऊँगा मैं,
उस का खियाल जब मेरे मन में आएगा,
एक मुलाकात की तो बात है,
चाँद चढ़कर भी दिखाई न देगा।।
हंसी उसकी फिर से याद आएगी,
होश-हवाश से खो कर,दर्द का अनन्द ले पाऊँगा मै,
ख़्वाबो के दरिया में मैं खो जाऊँगा, खो ता चला जाऊँगा ,
एक मुलाकात की तो बात है,
चाँद चढ़कर भी दिखाई न देगा।।
लहरें प्यार की फिज़ा बन के आएगी,
जशन मनाऊगा, हजरत का 'गीत' गा कर,
झुम उठेगा तन-वधन एक ऐसी धुन सुना कर,
ऐस जमीं पर 'संदीप वापस फिर से न आएगा,
एक मुलाकात की तो बात है,
चाँद चढ़कर भी दिखाई न देगा.....
संदीप कुमार नर
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