Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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आडवाणी जी के मन के भाव पैरोडी गजल

 

वो मेरा पत्र मीडिया मे जा दुहरा हुआ होगा।
मैरा इस्तिफा नही था ,उन्हे धोखा हुआ होगा।।

 

यहाँ तक आते-आते बडा बूढा हो गया हूँ मै।
किसी पद की चाह मे मेरा मन भटका हुआ होगा।।

 

समझ मुझे भी है मेरी बिदाई की आहट आ रही ।
सब के सब परेशां है इस बूढे को क्या हुआ होगा।।

 

अपने पक्ष मे शोर सुनना किसे अच्छा नही लगता।
पर सब सिधा हो जाएगा जितना बांका हुआ होगा ।।

 

मुझसे नही रहा जाता है गुंगा और बहरा बन ।
कैसे सहलू सत्ता मे किसी का जलसा हुआ होगा।।

 

 


( हिंदी ग़ज़ल के युग पुरूष स्व. दुष्यन्त कुमार जी से क्षमा सहित ...)

 

 


@संदीप सृजन

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