Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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घन घनघोर घटा लिए

 

घन घनघोर घटा लिए, आज खड़े है द्वार।
बूँदों मे देने लगे, घट भर कर उपहार ।।

 

घट भर कर उपहार दे, भर दे पोखर ताल ।
धरती का आँगन करे, बादल मालामाल ।।

 

बादल मालामाल हो, लोटे अपने देश।
'टेक्स'बचाने के लिए,धरा ओधड़ी वेश ।।

 

धरा औघड़ी वेश औ' ,घर घर अलख जगाय ।
बच्चे, बूढे औ' युवा, सबको बादल भाय ।।

 

 

@संदीप सृजन

 

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