Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

कभी गधों के सिर सजे, घोडों वाले ताज।

 

कभी गधों के सिर सजे, घोडों वाले ताज।
लेकिन चला नही सके, गधे अश्व का राज।।

 

सत्ता की शतरंज मे,ये कैसे है दाव ?
प्यादो को खलने लगे, हाथी घोडों के पाँव ।।

 


@संदीप सृजन

 

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ