जब से
गंगा मे आया सैलाब
तब से आंखो मे
नही आते ख्वाब
###################
अपनों की
तलाश है
सामने पढ़ी
पराई लाश है
###################
प्रकृति के कोप ने
सबको रुलाया
किसी नेता की आँख मे
सैलाब नही आया
@संदीप सृजन
Powered by Froala Editor
जब से
गंगा मे आया सैलाब
तब से आंखो मे
नही आते ख्वाब
###################
अपनों की
तलाश है
सामने पढ़ी
पराई लाश है
###################
प्रकृति के कोप ने
सबको रुलाया
किसी नेता की आँख मे
सैलाब नही आया
@संदीप सृजन
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY