Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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आम इंसान

 

उसके लिए नहीं लिखा जाता ग्रन्थ
नहीं बनता वह खबर का हिस्सा ही
न ही पुरे होता उसके सपने(?)
ना ही मिलने आते उससे उसके अपने
उसके लिए नहीं निकलती शोभा यात्रा
ना ही उसकी मूर्ति को आभुषनो से लाद
निकलती झांकिया सरे राह...............
उसके लिए नहीं टिमटिमाती
स्ट्रीट लाईटें
उसके घायल होने पर
नहीं किया जाता अस्पताल
पहुँचाने का/ इंतजाम
कोई न्यूज चैनल अपने
२४ घंटे के तय शुदा कार्यक्रम (?)में
नहीं देता उसके मृत -मुख को
पनाह ही
बस उसके हिस्से आता है
एक अफ़सोस जनक मौन
वह जो आम इंसान(?) होता है
"उमंग" संदीप

 

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