अलसाई नींद से
निकलते-निकलते
हो जाती है
अक्सर -
मुलाकात
तुम्हारे "अतीत"से
और
"मैं"
हो जाता हूँ
बेसुध
अपने"अतीत"में।
संदीप तोमर
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अलसाई नींद से
निकलते-निकलते
हो जाती है
अक्सर -
मुलाकात
तुम्हारे "अतीत"से
और
"मैं"
हो जाता हूँ
बेसुध
अपने"अतीत"में।
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